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नगर भ्रमण के समय आदिवासी नृत्य रहा आकर्षक।प्रहरी न्यूज छुरिया आदिवासी ध्रुव गोड समाज तहसील इकाई छुरिया के संयुक्त तत्वधान में प्रति वर्ष कि भांति इस वर्ष भी गोड़वाना की वीरांगना रानी दुर्गावती कि बलिदान दिवस को बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया। विशाल शोभा यात्रा निकाल कर नगर भ्रमण किया गया, हजारों कि संख्या मे अंचल के आदिवासी वीरांगना रानी दुर्गावती को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। मुख्य अतिथि बतौर पहुंचे श्री रामविचार नेताम जी आ. जा. वि. अ .जा. वि,. पी . वर्ग अ.स. वि. एवं कृषि एवं कि. क. विभाग मंत्री छ. ग़.शासन उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अध्यक्षता श्री एम डी ठाकुर अध्यक्ष केंद्रीय गोड महासभा धमधागढ़ ने किए।प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी आदिवासी ध्रुव गोड समाज तहसील इकाई छुरिया के गढ़ मंडला कि रानी वीरांगना रानी दुर्गावती कि बलिदान दिवस को बड़े धूम धाम के साथ मनाए गए। सबसे पहले हजारो की संख्या में अपने पारंपरिक वेष भूषा के साथ अंचल के आदिवासी कार्यक्रम स्थल में पहुंचे पूजा अर्चना के पश्चात एक विशाल शोभा यात्रा निकाली गई जिसमें समाज प्रमुख लोग अगवाई कर रहे थे, मादर दल के नृत्य नगर कि शोभा बढ़ा रही थी। रैली नए बस स्टैंड से वापिस रानी दुर्गा वती चौक (पुराना बस स्टैंड) के पास पहुंची।चिचोला छुरिया मोड के पास से गोड़वाना के युवकों ने मंत्री श्री रामविचार नेताम जी का भव्य स्वागत किया तथा मोटर साइकिल रैली के साथ पुराना बस स्टैंड छुरिया पहुंचे जहां वीरांगना महारानी दुर्गावती कि विशाल प्रतिमा पर पूजा अर्चना कर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए, तथा शोभा यात्रा में सम्मिलिति होकर रैली कि शोभा बढ़ाए। रैली कार्यक्रम स्थल तक पहुंची और अथितियो का स्वागत पुष्प हार, पुष्प गुच्छ एवं बैच लगाकर किया गया।स्वागत भाषण एवं मांग पत्र तहसील अध्यक्ष शेर सिंग परतेती जी द्वारा प्रस्तुत किया गया जिसमें समाज के प्रमुख मांग बालिकाओं कि पोस्ट मैट्रिक छात्रावास, बालकों का प्री मीट्रिक छात्रावास का सीट 20 से 50 करने तथा तथा सामाजिक भवन के लिए मांग प्रमुखता से किया रखा गया। कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे एम डी ठाकुर ने गोड़वाना के गाथा तथा वीरांगना महारानी दुर्गावती की शौर्य एवं पराक्रम को विस्तार से बताए। मुख्य अतिथि रामविचार नेताम आ. जा. वि.अ.जा. वि. पी. वर्ग अ.स.वि.एवं कृषि एवं कि. क. विभाग मंत्री श्री रामविचार नेताम ने रानी दुर्गावती को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि रानी दुर्गावती 16 वीं शताब्दी की एक महान शासिका थी,मुगल बादशाह के खिलाफ वीरतापूर्वक लड़ी मुगल बाद शाह ने गढ़ मंडला में रानी दुर्गावती के राज्य में एक बार आक्रमण नहीं किए बल्कि चालीस बार आक्रमण किए, रानी ने हर एक आक्रमण का पूरे साहस और शौर्य के साथ मुगल बादशाह को जवाब दिए और हरा दिए। अंत में 24 जून 1564 को मुगलों से युद्ध करते करते एक तीर उनके हाथ में लगी उसे निकला तो दूसरे तीर दूसरी हाथ में लगी उसी समय एक तीर उनके आंख पर और दूसरे तीर उनके गले पर लगी उस समय खून से लथपथ रानी के पास आत्म समर्पण के सिवा कुछ नहीं था, लेकिन स्वाभिमानी रानी ने कहा कि मैं जीते जी अपने शरीर को मुगलों को नहीं सौंप सकती उसने अपने सेनापति से कहा मुझे मार दो। सेनापति ने कहा रानी हम आपके नमक खाए हैं आपको मार नहीं सकते उसी समय रानी ने अपने तलवार से अपने आपको समाप्त कर ली,और शाहिद हो गई। ऐसे वीरांगना रानी जिन्होंने अपने राज्य कि रक्षा करते हुए अपनी बलिदान दे दी उनको मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।कोई भी राजा जब राज करता है तो उसके राज्य में एक जात एक धरम के लोग नहीं होते उस राज्य सभी जाति धर्म के लोग रहते हैं और राजा को वीरांगना रानी दुर्गावती कि तरह सबके साथ सामान न्याय करनी चाहिए वही सच्ची शासक है। उसके राज्य सामान्य लोग भी सुख शांति से जीवन व्यतीत करते थे। उनके राज्य में गरीब, किसान व्यापारी सब लोग खुशहाल जिंदगी जी रहे थे तभी उसके राज्य में सोने कि सिक्का चला करते थे। उन्होंने कहा कि समाज को जागरूक होकर आगे आने कि जरूरत है आज की लड़ाई तलवार से नहीं लड़ी जा सकती शिक्षा से लड़ना है, शिक्षा से ही हर समस्या का निदान है। आज सरकार रहने का खाने का सब प्रकार से व्यवस्था कि जा रही है, लेकिन हमको स्वालंबी बनना होगा अपने बच्चों को उस लायक बनाओ कि किसी पर निर्भर न हो। समाज में देश में अच्छे कार्य करोगे तो इतिहास लिखी जाएगी, किसी कि प्रतिष्ठा दूसरे के बनाने से नहीं बनती खुद को बनाना पड़ता है आने वाला समय चुनौतियों का समय होगा सुविधा पे सुविधा पर निर्भर मत रहो सुविधा ज्यादा दिन तक नहीं चलती। उन्होंने समाज की प्रमुख मांग आदिवासी कन्या पोस्ट मैट्रिक छात्रावास की घोषणा की। प्री मीट्रिक बालक छात्रावास की सीट 20 से बढ़ाकर 50 सीट किए। तथा उन्होंने कहा कि समाज के पास भवन होता तो आज भरे बरसात में यहां बैठने कि नौबत नहीं आती समाज कि जो प्रमुख मांग है सामाजिक भवन का उसके लिए 50 लाख कि घोषणा मंच से किए। कार्यक्रम के दौरान इन्द्र देव भी बीच बीच में पानी गिराते रहे। भरी बरसात में लोग भीगते हुए मुख्य अतिथि रामविचार नेताम जी को सुनते रहे। कार्यक्रम में विशिष्ट नीलकंठ गढ़े महासचिव धमधागढ़ विष्णु देव ठाकुर प्रवक्ता धमधागढ़, मदन नेताम अध्यक्ष ओडारबांध, राजेश्वर ध्रुव संचालक ओडार बांध, संतोष पड़ौती अध्यक्ष डोंगरगढ़, किरण रविन्द्र वैष्णव अध्यक्ष जिला पंचायत, संजय सिन्हा अध्यक्ष जनपद पंचायत, दिनेश गांधी,अनीता मंडावी जिला पंचायत सदस्य, बीरम बाई मंडावी जिला पंचायत सदस्य प्रशांत कोड़पे जिला पंचायत सदस्य, अजय पटेल नगर पंचायत अध्यक्ष, चंद्रिका प्रसाद डड़सेना उपाध्यक्ष जिला भाजपा, कामता प्रसाद साहू मंडल अध्यक्ष छुरिया, खिलेश्वर साहू मंडल अध्यक्ष गैंदाटोला, भूषण नेताम उपाध्यक्ष नगर पंचायत, प्रशांत ठाकुर उपाध्यक्ष जनपद पंचायत, बालमुकुंद कुंजाम जनपद सदस्य, उभेराम मंडावी, जनपद सदस्य, लक्ष्मी मंडावी, ज.प.स.पिंकी देव पंद्रो ज प स ,भान बाई मंडावी ज प स अंजली गावड़े ज प स रोमी भाटिया पूर्व न प उपाध्यक्ष राधे श्याम शर्मा मीडिया प्रभारी, मनभावन उईके पूर्व पार्षद, छुरिया शेखर भरद्वाज भा ज पा नेता मया राम मंडलोई, मदन खुड़श्याम , मोहन कोमरे अन्नू कोमरे आदि लोग विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। समाज प्रमुख एम डी ठाकुर, विष्णु देव ठाकुर शेर सिंह परतेती, उद्धव ठाकुर, मोहन कोमरे खेलन सिंह ठाकुर संतोष पड़ौती ईत्यादी के द्वारा मुख अतिथि रामविचार नेताम जी को मोमेंटो भेंट कर सम्मान किए। इस अवसर पर परिक्षेत्र अध्यक्ष रघुवीर सेवता, टी आर पंद्रे गेंदलाल मंडावी दयालाल कौशल, रामसाय उईके, चंद्रभान है हरदेव कत्लाम भवन सिंग ध्रुवे झाड़ू राम ठाकुर, चंद्र शेखर मंडलोई, तथा समाज प्रमुख मोची राम ठाकुर, शेर सिंग परतेती बख्शी कतलाम पतराखन पड़ौती झाड़ू राम ठाकुर मोतीलाल मंडावी, धनुष मंडावी, सुमित्रा ध्रुवे, देवकुवर सलाम, राजेश मंडावी, झाड़ू राम ठाकुर, ढाल सिंह मंडावी, खेलन सिंग मंडावी, बसंत मंडावीब गेंदलाल मंडावी गोविंद मंडावी, दिलीप नेताम,देशराम कोर्राम, बालमुकुंद कुंजाम, एन आर सूर्यवंशी गुमान मंडावी, कमलेश पड़ौती, राजेश नेताम आदि लगभग 10 हजार आदिवासी अपनी पारंपरिक वेश भूषा के साथ उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन राजेश्वर ध्रुव एवं आभार व्यक्त मोहन कोमरे किया।उक्त जानकारी उद्धव ठाकुर एवं नाथु सूर्यवंशी ने दी।

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